एक बार माँ के ऊपर निबंध लिखकर लाना था दो पन्नों पर,
स्याही तो बहुत थी मेरे पास,
पर क्या लिखती में माँ के बारी में,
पहला सिक्षा तो माँ ने ही दिया है मुझको,
सहनशीलता की शिक्षा और धैर्य की परिभाषा सब माँ से ही सिखा था मैने,
माँ के द्वारा दिया गया सिक्षा के आगे कोई और सिक्षा नहीं है,
मैने कई बार पढ़ा था कुछ पुस्तकों में की माँ बच्चे की पहली पाठशाला होती है,
सही लिखा है पुस्तकों में,
पर हकीकत के दुनिया में पहला अक्षार माँ से ही मिलता है पड़ने को,
हर सिक्षा हर भाषा और हर शब्द से अतुलनीय होती है माँ की बोली यानी शब्द " माँ "।
~ ~ सदा बहार ~ ~
बहुत सुन्दर भाव सदा बहार जी...
ReplyDeleteविषय ही ऐसा है जो छू जाता है दिल को...
मां तुझे सलाम!!!!
स्नेह.