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Saturday 8 October 2011

~ ~ ~ ~ ~ ~ तुम हमको भूल जाओ माँ ~ ~ ~ ~ ~ ~

आज हम याद आएँ कल भूल जाएँ,
कभी न हंस पाएं न रोपाएं,
हम हाले दिल क्या बताएं,
माँ कहिये कैसे हम मुस्कुराएँ,
जब दिल हेर पल यादों का,
हर धड़कन गीत गुनगुनाये,
चाह नहीं अब ए ज़िन्दगी,
हम कुछ खो जाएँ या पाजाएँ,
माँ हम तुमको याद आएँ ?
तुम हमको भूल जाओ !!

गुजरा जीवन गुजरें लोग,
रिश्तों की अब बदली सोंच,
नहीं रहा अब मन में संकोच,
रिश्तों का जब तन में संतोष,
सुख दुःख का सब गठजोड़,
रिश्तों का अब जोड़ पे जोड़,
मर जाता जीवन बेजोड़,
पत्थर चाहे हर तोड़ पे तोड़,
माँ हम तुमको याद आएँ ?
तुम हमको भूल जाओ !!

गुजरा प्यार गुजरा संसार,
मिट गए सपनें माटी के भाव,
फिर कैसा रहता दिल में लगाव,
जीवन हर पल बहता एक बहाव,
रिश्तों का हर पल नया पड़ाव,
गुजरें रिश्तें गुजरें नातें गुजरी बातें,
करनी अब नए कल की बातें,
भूल चुकी में तेरी यादें,
माँ हम तुमको याद आएँ ?
तुम हमको भूल जाओ !! 

यादें न दिल से जाती है न दिल की हो पाती है,
बस दिल में रहकर दिल को जलाती है,
रिश्तों में डूब जाएँ तो रास्ते भी जीवन को बहुत कुछ दे जाती है,
हर कदम पर जीवन भी एक नयी शुरुआत है,
यादें की सभी खोये मन में क्या औकात है ? 

~ ~ सदा बहार ~ ~ 

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